Ashirwad Yog-Naturopathy College and Treatment Centre

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सूर्य नमस्कार बिना योग अधूरा

"जहाँ सूर्य वहाँ जीवन, जहाँ सूर्य नमस्कार वहाँ चैतन्य।"

संपूर्ण भारतीय योग परंपरा में सूर्य को प्राणशक्ति का स्रोत माना गया है। सूर्य नमस्कार केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, यह तन, मन और आत्मा का मिलन है — एक गूढ़ साधना।

सूर्य नमस्कार योग की एक अत्यंत प्रभावशाली श्रृंखला है, जिसमें बारह योगासन क्रम से जोड़े जाते हैं। यह अभ्यास शरीर को ऊर्जावान, मस्तिष्क को शांत और आत्मा को प्रबुद्ध करता है।

"आदित्याय च सोमाय मङ्गलाय बुधाय च। गुरु शुक्र शनिभ्यश्च राहवे केतवे नमः॥"

सूर्य नमस्कार के साथ जुड़े बारह मंत्रों में यह ग्रहों का स्तवन है जो ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ने का प्रतीक है।

ऋग्वेद में सूर्य की उपासना का वर्णन मिलता है। भारतीय दर्शन में सूर्य को "आत्मा" कहा गया है।

"सूर्य आत्मा जगतस्तस्थुषश्च"

ऋषि नंदा, पतंजलि, योगानंद, परमहंस योगी, और आधुनिक गुरुओं ने भी सूर्य नमस्कार को आत्म-साक्षात्कार का मार्ग बताया है।

सूर्य नमस्कार के बारह चरण:

  1. प्रणामासन
  2. हस्त उत्तानासन
  3. पदहस्तासन
  4. अश्व संचालनासन
  5. दंडासन
  6. अष्टांग नमस्कार
  7. भुजंगासन
  8. पर्वतासन
  9. अश्व संचालनासन (दोहराया)
  10. पदहस्तासन
  11. हस्त उत्तानासन
  12. प्रणामासन

"तपः स्वाध्याय ईश्वरप्रणिधानानि क्रियायोगः" - सूर्य नमस्कार तप और ईश्वरप्रणिधान का व्यावहारिक स्वरूप है।

शारीरिक, मानसिक और आत्मिक लाभ:

  • सम्पूर्ण शरीर की कसरत
  • रक्त संचार बेहतर
  • पाचन शक्ति में सुधार
  • हार्मोन संतुलन
  • मानसिक शांति और तनाव से राहत
  • वजन नियंत्रण
  • मांसपेशियों का लचीलापन
  • आत्म-चेतना और ध्यान की वृद्धि

"नित्यं सूर्यनमस्कारं ये कुर्वन्ति मनावः। दीर्घायुष्मन्तः सदा तैः सन्तोषं प्राप्नुवन्ति॥"

सावधानियाँ:

  • स्लिप डिस्क, हृदय रोग या गर्भावस्था में सावधानी
  • प्रशिक्षक की देखरेख में प्रारंभ करें
  • ध्यानपूर्वक और शांत मन से अभ्यास करें

सूर्य के साथ दिन शुरू करें, तन, मन और आत्मा को जोड़ें। सूर्य नमस्कार कोई साधारण अभ्यास नहीं, यह योग का द्वार है। यह शरीर की ऊर्जा को जाग्रत करता है, चेतना को विकसित करता है और आत्मा को परम से जोड़ता है।

सूर्य नमस्कार के बारह मंत्र:

— प्रत्येक आसन के साथ एक-एक मंत्र बोला जाता है। ये मंत्र सूर्य देव के बारह नामों पर आधारित होते हैं।

  1. ॐ मित्राय नमः — मित्र = जो सबका मित्र है, शुभ और मधुरता देने वाला।
  2. ॐ रवये नमः — रवि = प्रकाश देने वाला, जीवन की ऊर्जा का स्रोत।
  3. ॐ सूर्याय नमः — सूर्य = जो सबको प्रकाशित करता है और समस्त लोकों का नेत्र है।
  4. ॐ भानवे नमः — भानु = जो तेजस्वी और ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाला है।
  5. ॐ खगाय नमः — खग = जो आकाश में गमन करता है।
  6. ॐ पूष्णे नमः — पूषा = पोषण करने वाला, जीवन का संवाहक।
  7. ॐ हिरण्यगर्भाय नमः — हिरण्यगर्भ = ब्रह्मांड का स्वर्णिम बीज, सृष्टि का उद्गम।
  8. ॐ मरीचये नमः — मरीचि = किरणों के देवता, प्रकाश की तेज लहरें।
  9. ॐ आदित्याय नमः — आदित्य = अदिति के पुत्र, दैविक ऊर्जा के प्रतिनिधि।
  10. ॐ सवित्रे नमः — सविता = सृजनकर्ता, प्रेरणा देने वाला।
  11. ॐ अर्काय नमः — अर्क = पूजनीय, औषधीय और तपस्वी ऊर्जा का स्रोत।
  12. ॐ भास्कराय नमः — भास्कर = प्रकाश फैलाने वाला, ज्ञान का प्रतीक।

"मित्रं रविं सूर्यं भानुं, खगं पूषा हिरेण्यम्। मरीचिं आदित्यं च सवितारं अर्क भास्करम्॥"

इन मंत्रों के साथ सूर्य नमस्कार करने से मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है।

प्रिय योग साधक! सूर्य नमस्कार को केवल अभ्यास न मानें, यह योग, निसर्गोपचार और आत्मज्ञान का संगम है। आप स्वयं इसका नियमित अभ्यास करें, और समाज को भी इसका महत्व समझाएं। हर सुबह, सूरज को प्रणाम कीजिए और दिनभर ऊर्जा, आरोग्यता और सकारात्मकता से भर जाइए।

आइए, सूर्य नमस्कार को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाकर "फिट इंडिया – स्वस्थ भारत" मिशन में योगदान दें।

🌿आशिर्वाद योग नॅचरोपॅथी कॉलेज
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